यह तो साफ है कि भारत में क्रिकेट को छोड़कर और दूसरे खेलों की हालत बहुत ही खस्ता है. इसका एक ताजा उदाहरण राष्ट्रीय स्तर के बॉक्सर कमल कुमार हैं जो कभी अपने बॉक्सिंग से अपने क्षेत्र का नाम रोशन करते थे, आज कल गली-गली जाकर कूड़ा उठाने का काम कर रहे हैं.
एक खबर के मुताबिक कमल कुमार वाल्मीकि जो 90 के दशक में जिला स्तर पर तीन बार गोल्ड मैडल जीत चुके हैं, कूड़ा उठाने के साथ एक रिक्शा चालक भी हैं. भारतीय बॉक्सिंग पर बात करते हुए कमल कहते हैं, ‘मैं अपने देश का गर्व बढ़ाना चाहता हूं, लेकिन सरकार मुझे आर्थिक रूप से सपोर्ट करने में असफल रही है.’
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वह आगे कहते हैं, ‘जब मैं राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी था, उस दौरान भी मैं फोर्थ लेवल की नौकरी भी हासिल ना कर सका. अब मैं अपने बड़े बेटे को राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाने के लिए ट्रेनिंग दे रहा हूं. मैं अपने जुनून को पीछे नहीं छोड़ सकता. मुझे विश्वास है कि मेरा बेटा मेरे सपनों को पूरा करेगा.’
जिस देश में केवल क्रिकेट खिलाड़ियों पर ढेर सारे पैसे खर्च हो रहे हो वहां कमल कुमार जैसे खिलाड़ियों की हालत कोई नई बात नहीं है. सरकारी फंडिंग का न होना, स्पॉन्सर और विज्ञापन की कमी की वजह से ऐसे बहुत से खिलाड़ी हैं जिनकी हालत कमल कुमार की तरह हो गई है.
हम आशा करते हैं कि सरकार इस ओर जल्दी से जल्दी ध्यान देगी ताकि किसी और खिलाड़ी को कमल कुमार की तरह कूडा उठाने ना पड़े…Next
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