अपनी शायरी और जोरदार ठहाके से हर किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू इन दिनों बीमार चल रहे हैं और दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती हैं. डॉक्टरों के मुताबिक चोट लगने के कारण उनकी रक्त वाहिनियों में खून का थक्का जम गया है हालांकि अब उनकी सेहत में सुधार है. अपनी सेहत के बारे में माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखते हुए सिद्धू क्रिकेटिंग अंदाज में कहते हैं “डाउन बट नॉट आउट”.
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू भारतीय क्रिकेट के ऐसे खिलाड़ी हैं जो क्रिकेटिंग कॅरियर के बाद लगातर खुद को एक नए रूप में पेश करते रहे हैं.
एक खिलाड़ी का सपना होता है कि वह मैदान में अच्छा करे और जब रिटायर्ड हो तो उसे अपने ही फिल्ड में कोचिंग और कमेंट्री का मौका मिले. लेकिन बिंदास सिद्धू बतौर कमेंटेटर और विशेषज्ञ क्रिकेट में अपना योगदान तो देते ही हैं फिल्म और टेलीविजन में भी सक्रिय तौर जुड़े हुए हैं.
सिद्धू भारतीय क्रिकेट जगत के एक मात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके चारो तरफ रंगीनियत ही दिखाई देती है. उनकी लाइफ को देखकर उन्हें जानने और समझने वाले कई बार उनसे ईर्ष्या करने लगते हैं.
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हालांकि जिस तरह की लाइफ नवजोत सिंह सिद्धू जी रहे हैं, बचपन या जवानी के समय वह ऐसे नहीं थे. दरअसल स्कूल के दिनों में जब किसी इवेंट का आयोजन किया जाता था, सिद्धू तब स्कूल नहीं जाया करते थे. उन्हें डर होता था कि ऐसे इवेंट में उनके नाम की कोई घोषणा न कर दे. वह ऐसे इवेंट वगैरह में बोलने से बचते थे.
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इस तरह का डर उन्हें तब भी सता रहा था जब वह क्रिकेट की दुनिया में आए. इस बात पर स्वयं सिद्धू कहते हैं – “किसी दिन मैने यदि शतक मारा उस दिन मुझे खुशी तो होती थी लेकिन कहीं न कहीं डर भी लगता था, क्योंकि मीडिया की नजरों में मैं चढ़ जाता था.” उस दौरान सिद्धू लोगों से बातें करने में भी कतराते थे.
उनकी लाइफ में बदलाव तब आया जब उन्होंने “दी वर्क ऑफ स्वामी विवेकानंद” नामक किताब पढ़ी. यही नहीं नवजोत सिंह सिद्धू भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त हैं वह 1998 के बाद से रोजाना ध्यान के लिए समय निकालते हैं.
वह गायत्री मंत्र और महामृत्युजंय मंत्र का जाप भी करते हैं. विवेकानंद की विचारों से प्रेरणा लेकर जिस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू ने खुद में बदलाव लाया वह एक नए अवतार जैसा है…Next
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