अगस्त 2011 में जब बाईचुंग भूटिया ने फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा की थी तब उस समय फुटबॉल के चाहने वालों के दिमाग में यह सवाल उभर रहा था कि बाईचुंग भूटिया के बाद भारतीय फुटबॉल को आगे ले जाने की जिम्मेदारी कौन लेगा, उस समय एक नाम सामने आया सुनील छेत्री का जिन्हें पहले भी भूटिया का उत्तराधिकारी माना जाता था.
भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री का जन्म 3 अगस्त, 1984 को दिल्ली में हुआ. छेत्री ने अपनी एकैडमिक शिक्षा गंगटोक, दार्जीलिंग, कोलकाता और दिल्ली के आर्मी पब्लिक से स्कूल से लीं.
सुनील छेत्री का कॅरियर
भारतीय स्ट्राइकर सुनील छेत्री ने अपने फुटबॉल कॅरियर की शुरुआत दिल्ली के एक क्लब से की. इसके बाद 2002 में उन्हें भारतीय क्लब मोहन बागान ने अपनी टीम में ले लिया. मोहन बागान की तरफ से खेलते हुए छेत्री ने अपने पहले ही सीजन में चार गोल किए. छेत्री तीन सीजन तक मोहन बगान की तरफ से खेलते रहे. इसके बाद उन्होंने जेसीटी, ईस्ट बंगाल औए डेंपो की तरफ की तरफ रुख किया.
दोबारा मोहन बगान से करार
22 जुलाई 2011 को भारतीय फुटबाल टीम के स्टार खिलाड़ी सुनील छेत्री ने आगामी सत्र के लिए कोलकाता के क्लब मोहन बागान से एक साल के लिए करार किया था. इस दौरान उन्होंने मोहन बगान के लिए नौ गोल भी किए.
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स्पोर्टिंग लिस्बन क्लब
जुलाई 2012 में भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने पुर्तगाल के एक क्लब स्पोर्टिंग लिस्बन के साथ दो साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया. इसके साथ ही भारतीय स्टार स्ट्राइकर छेत्री भारत के दूसरे ऐसे फुटबॉलर बने, इन्होंने किसी यूरोपीय क्लब के लिए खेला हो. उनसे पहले पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया ने इंग्लैंड में एफसी बरी क्लब के लिए खेला था.
चर्चिल ब्रदर्स
फरवरी 2013 में सुनील छेत्री चार महीने के लोन आधारित करार पर इंडियन प्रोफेशनल लीग (आई-लीग) के चर्चिल ब्रदर्स क्लब से जुड़े. चर्चिल ब्रदर्स ने छेत्री को पुर्तगाल के क्लब स्पोर्टिग लिस्बन से हासिल किया था. छेत्री ने बीते साल जुलाई में इस क्लब के साथ फ्री एजेंट के तौर पर करार किया था.
अवार्ड
अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (एआइएफएफ) ने फुटबॉल स्ट्राइकर सुनील छेत्री को वर्ष 2011 का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ी (प्लेयर ऑफ द ईयर 2011) चुना. इस पुरस्कार की दौड़ में पांच खिलाड़ी थे. सुनील छेत्री को वर्ष 2011 का अर्जुन पुरस्कार और दिसंबर 2011 में संपन्न सैफ फुटबॉल में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का भी पुरस्कार दिया गया.
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