ऐसा माना जाता है कि खेल के किसी भी क्षेत्र में यदि आपको सफलता प्राप्त करनी है तो इसके लिए आपकी सबसे पहली आवश्यकता है कि पूरी तरह से फिट हों. यही एक ऐसी चीज है जिसकी बदौलत आप न केवल अपने कॅरियर को एक नई उंचाई दे सकते हैं बल्कि अपने क्षेत्र में ज्यादा दिनों तक टिके भी रह सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत से खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी फिटनेस साबित करके लंबे समय तक खेल के जरिए अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है. इन्हीं खिलाड़ियों में से एक टेनिस के स्टार खिलाड़ी लिएंडर पेस भी हैं.
1996 में भारत को अटलांटा ओलंपिक्स में कांस्य पदक दिला चुके लिएंडर पेस की जितनी चर्चा उनके खेल की होती है उससे कहीं ज्यादा इस बात के लिए भी वह विख्यात हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी के आधे से भी ज्यादा समय टेनिस खेल को दिया. अपनी शानदार फिटनेस के जरिए पेस ने 20 साल से भी अधिक समय टेनिस को दिया. इस दौरान उन्होंने न केवल कई उपब्लधियां हासिल की बल्कि भारत में टेनिस के भविष्य को भी नई ऊंचाई प्रदान की.
Read: नीतीश की दगा हिंदुत्व के लिए या फिर कुछ और
लिएंडर पेस का जन्म कोलकाता में 17 जून, 1973 को हुआ. उनके पिता डाक्टर वेस पेस अंतरराष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी और प्रसिद्ध चिकित्सक हैं. उनके पिता डॉक्टर वेस म्यूनिख ओलम्पिक गेम्स 1972 के कांस्य पदक विजेता टीम के सदस्य थे. उनकी मां जेनिफर पेस ने 1980 के एशियन बास्केट बॉल चैंपियनशिप में भारतीय बास्केट बॉल टीम की कप्तानी की थी. 1985 में उनके पिता ने उन्हें चेन्नई स्थित ब्रिटानिया अमृतराज टेनिस अकादमी (बैट) में टेनिस सीखने के लिए भेजा. यह उनके जीवन का टर्निंग प्वॉइट साबित हुआ. 1990 में उन्होंने जूनियर विंबलडन का खिताब जीतकर पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और जूनियर रैंकिग में पहला स्थान हासिल किया. यहीं से उनका प्रोफेशनल कॅरियर शुरू हो गया.
टेनिस अद्भुत फिटनेस, ताकत और धैर्य का खेल है. इसमें खिलाड़ी को उसके सख्त अनुशासन की वजह से ही कामयाबी मिलती है. लिएंडर पेस ने अपने कॅरियर में इस बात का बहुत ज्यादा ध्यान दिया. यह उनका अनुशासन ही तो है कि आज भी वह मैदान पर उतरते हैं तो टेनिस के दिग्गज उन्हें हलके में नहीं लेते. यही वजह है कि आज उनके पास ओलंपिक में एक पदक तथा ग्रैंड स्लैम के डबल्स में सात और मिक्स्ड डबल्स में छह खिताब हैं जो किसी भी खिलाड़ी के लिए एक सपने जैसा है.
अपने देश और देशवासियों के लिए खेलने पर गर्व महसूस करने वाले लिएंडर पेस का रुझान बचपन में फुटबॉल की तरफ था. लेकिन पिता के कहने पर लिएंडर ने टेनिस खेलना शुरू किया. पिता की यह सलाह लिएंडर के काम आई. आज वह सचिन तेंदुलकर और विश्वनाथन आनंद के बाद तीसरे ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने खेल के जरिए भारत की लंबे समय तक सेवा की.
Read More:
Read Comments