क्रिकेट को पूजने वाले भारत देश में आजकल जिस दूसरे खेल की सबसे अधिक चर्चा हो रही है वह बैडमिंटन है. टेलीविजन में न्यूज कार्यक्रमों से लेकर अखबार के पन्नों तक भारतीय बैडमिंटन और उससे जुड़े खिलाड़ियों के नाम लिए जा रहे हैं तो इसकी मुख्य वजह है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाड़ियों का बेहतर प्रदर्शन. अगर पिछले चार-पांच सालों पर नजर डालें तो भारत के पुरुष और महिला खिलाड़ियों ने दुनिया के बड़े-बड़े धुरंधरों को धूल चटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
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आज जिस स्टार खिलाड़ी की बैडमिंटन में सबसे अधिक चर्चा हो रही है उसका नाम है सायना नेहवाल. यह खिलाड़ी अपनी मेहनत और काबीलियत से विश्व के बड़े-बड़े खिलाड़ियों को हराकर अपना नाम चोटी की खिलाड़ियों में शुमार कराने में कामयाब रही. आज सायना नेहवाल जिस तरह से निडर होकर विश्व के खिलाड़ियों से टक्कर ले रही हैं उसकी शुरुआत भारत के एक और महिला बैडमिंटन खिलाड़ी अपर्णा पोपट ने पहले ही कर दी थी. अपर्णा पोपट ने भारत की तरफ से न केवल बैडमिंटन में बेहतर प्रदर्शन किया बल्कि उन नए महिला खिलाड़ियों को रास्ता दिखाया जो आज विश्व में नए कीर्तिमान रच रही हैं.
भारत की महान बैडमिंटन खिलाड़ी अपर्णा पोपट का जन्म 18 जनवरी, 1978 को मुंबई में लालजी पोपट और हेमा पोपट के घर हुआ. अपर्णा की आरंभिक शिक्षा मुंबई में हुई है. उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से कॉमर्स की डिग्री ली है. अपर्णा ने 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. शुरुआत में अपर्णा का ध्यान टेनिस की ओर था लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने कोच अनिल प्रधान की वजह से बैडमिंटन की ओर रुख कर लिया. अनिल प्रधान ने उन्हें छोटी सी उम्र में खेलते हुए देखा था. वह उनसे काफी प्रभावित हुए. अनिल प्रधान ने अपर्णा को लगभग 10 सालों तक बैडमिंटन के गुर सिखाए. बुनियादी गुर सीखने के बाद सन 1994 में अपर्णा बैंग्लोर में प्रकाश पादुकोण की बैडमिंटन एकेडमी से जुड़ गंई. वहां उन्होंने अपने कौशल को अधिक विस्तार दिया. अपर्णा प्रकाश पादुकोण को अपना आदर्श मानती हैं.
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34 साल की अपर्णा ने सन 1989 में राष्ट्रीय अंडर-12 बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब जीता. उन्होंने अपना पहला सीनियर नेशनल चैंपियनशिप का खिताब सन 1998 में पुणे में जीता. अपर्णा पहली महिला थीं जिन्होंने भारत की तरफ से विदेशों में भी कई मैच जीते. उन्होंने डेनमार्क में सन 1996 में वर्ल्ड जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में भाग लिया जहां उन्होंने रजत पदक हासिल किया. उन्होंने कुवालाल्मपुर कॉमनवेल्थ गेम 1998 में भी रजत पदक हासिल किया. इसी साल उन्होंने एक नया रिकॉर्ड बनाया जब वह फ्रेंच ओपन टाइटल जीतकर भारत की पहली महिला बनीं. उनके नाम मानचेस्टर कॉमनवेल्थ गेम में कांस्य पदक भी है. अपर्णा ने 2000 और 2004 ओलंपिक में भारत की तरफ से बैडमिंटन में प्रतिनिधित्व किया था.
अपर्णा के साथ विवाद भी जुड़ा हुआ है. अभ्यास के दौरान अपर्णा ने 2001 में साइनस होने पर ‘डी कोल्ड टोटल’ ली थी. अपर्णा को पता नहीं था कि इसमें प्रतिबंधित तत्व भी होते हैं और बाद में उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी. वह अब भी उस दर्द को नहीं भूल पायी हैं जब बिना किसी गलती के उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
जिस तरह से आज बैडमिंटन के खिलाड़ी देश-दुनिया में अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं उसे देखकर ऐसा लगता है कि आने वाले भविष्य में भारतीय बैडमिंटन उज्जवल रहने वाला है. जो भारतीय खिलाड़ी चीन के खिलाड़ियों के साथ खेलने में डरते थे आज वह निडर होकर उनका सामना कर रहे हैं. आज भारतीय महिला खिलाड़ियों में जिस तरह की ऊर्जा दिख रही है उसमें कहीं न कहीं अपर्णा पोपट का योगदान जरूर है.
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