पिछले एक महीने से भारत की ओर से खेल के विभिन्न क्षेत्र में खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन और प्रतियोगिता के जीतने की खबरें मिल रही हैं. जहां एक तरफ भारत ने लंदन ओलंपिक में अब तक का बेहतर प्रदर्शन करते हुए अपनी झोली में छ: पदक लेकर आया वहीं दूसरी तरफ भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम ने आस्ट्रेलिया को उसी की जमीन पर हराकर तीसरी बार विश्व कप अपने नाम किया. अब भारत ने रविवार को नेहरू कप फुटबॉल के फाइनल मुकाबले में कैमरून को हराकर एक नया कीर्तिमान रच दिया.
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दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में हुए मुकाबले में भारत ने वरीयता में श्रेष्ठ टीम कैमरून को पेनाल्टी शूटआउट में 5-4 से पराजित किया. इस जीत के साथ ही भारत की नेहरू कप में लगातार तीसरी जीत है. इससे पहले भारत इस पांच देशों के आमंत्रण टूर्नामेंट को 2007 और 2009 में अपने नाम कर चुका था. भारत के लिए यह जीत बहुत ही ज्यादा मायने रखती है क्योंकि उसने अपने से श्रेष्ठ रैंकिग वाली टीम को हराया है. फिलहाल विश्व फुटबॉल रैंकिग में कैमरून का स्थान 59वां है जबकि भारत का स्थान 168वां है.
बेहतर खिलाड़ी के रूप में सुनील छेत्री
वैसे तो नेहरू कप खिताब हासिल करने में सबका योगदान रहा लेकिन एक खिलाड़ी जिसका नाम लिए बगैर शायद यह खिताब हासिल करना मुश्किल होगा वह हैं टीम के कप्तान सुनील छेत्री. 28 साल के इस खिलाड़ी ने नेहरू कप के इस प्रतियोगिता में कुल पांच गोल दागे. उन्हें इस प्रदर्शन के लिए फाइनल मैच के साथ-साथ प्रतियोगिता का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया. भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया के संन्यास लेने के बाद टीम का दारोमदार सुनील छेत्री के कंधों पर आ गया. लेकिन भारत के इस स्टार स्ट्राइकर ने सभी चुनौतियों का सामना करते हुए न केवल अपने खेल के स्तर को आगे बढ़ाया बल्कि टीम के बेहतर प्रदर्शन में भी अहम योगदान दिया. सुनील छेत्री भारत के एक ऐसे एकलौते खिलाड़ी हैं जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल क्लबों में से एक ‘स्पोर्टिंग क्लब डि पुर्तगाल’ से जुड़े हुए हैं.
नए कोच कोवरमेंस की कारीगरी
भारत की जीत में जितना योगदान खिलाड़ियों का है उतना ही योगदान कोच विम कोवरमेंस का है. नीदरलैड के इस कोच ने भारतीय खिलाड़यों की कमजोरियों और खूबियों को अच्छी तरह से पहचाना. उन्होंने टीम की जरूरतों को समझते हुए नेहरू कप से पहले खिलाड़ियों के साथ कैम किया. उन्होंने इस अभ्यास कैम में खिलाड़ियों को मैच जीतने के वे सारे दांवपेच सिखाए जिसका फायदा नेहरू कप में देखने को मिला.
भारत की इस युवा टीम ने नेहरू कप के पहले दिन से शानदार प्रदर्शन करते हुए दुनिया को दिखा दिया था कि उनके अंदर भी एक बड़ी टीम बनने की क्षमता है. पहले सीरिया उसके बाद मालदीव फिर नेपाल के साथ ड्रा और अंत में कैमरून को हराने के बाद भारत के खिलाड़यों ने भविष्य के लिए एक उम्मीद के दिए जला दिए.
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