किसी बड़े बुजुर्ग ने कहा है कि “पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब.” लेकिन वर्तमान समय में इस उक्ति पर यदि विचार किया जाए तो यह बिलकुल खोखली लगती है. इस समय इंडियन प्रीमियर लीग की चमक-दमक और ग्लैमर सर चढ़कर बोल रहा है, ऐसे में कोई ऐसा खेल है जो भारत की शान को बढ़ाने को बेताब दिख रहा है तो वह है मुक्केबाजी. जी हां भारत के सात मुक्केबाज लंदन ओलंपिक 2012 के लिए टिकट कटाकर एक नई इबारत लिखने को तैयार हैं.
भारत के लिए मुक्केबाजी में कोई खास इतिहास देखने को नहीं मिलता. 2008 से पहले मुक्केबाजी एक शौक के रूप में देखा जाता था और कभी कभार गाहे-बगाहे एक-दो पदक देखने को मिल जाते थे. लेकिन बीजिंग ओलंपिक में विजेन्द्र सिंह द्वारा दिए गए शानदार प्रदर्शन ने भारत का भविष्य मुक्केबाजी में और उज्जवल बना दिया. कई युवा खिलाड़ी दूसरे खेलों की बजाय मुक्केबाजी में अपना पैर जमाने लगे. उसी का परिणाम है कि आज भारत के सात खिलाड़ी लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर पाए.
विजेन्द्र कुमार सिंह 75 किलोग्राम वर्ग: विजेन्द्र सिंह ने जब 2008 के बीजिंग ओलंपिक कांस्य पदक जीता था तो किसी ने यह उम्मीद नहीं की थी कि आने वाले लंदन ओलंपिक में भारत के सात मुक्केबाज क्वालीफाई करेंगे. विजेन्द्र जुलाई में होने वाले लंदन ओलंपिक में अपने जलवे बिखरने के लिए तैयार हैं. उनका यह भरोसा उनके साथी खिलाडियों को नई उर्जा देगा जिससे वह इस बार के ओलंपिक में नया कारनामा कर पाएंगे.
सुमित सांगवान 81 किलोग्राम वर्ग: कज़ाखस्तान के अस्ताना में 81 किलोग्राम वर्ग में सुमित 2009 की एशियाई चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता जॉर्डन के इहाब अल्मातदौलत को 24-12 से हराकर अब लंदन में अपने मुक्के बरसाने को तैयार हैं.
एल देवेंद्रो सिंह 49 किलोग्राम वर्ग: 19 वर्षीय इस युवा मुक्केबाज नेपिछले साल ही अपनीशानदार प्रदर्शन की बदौलत लंदन जाने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया था. देवेंद्रो अजरबेजान बाकू में विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखते हुए सातवें वरीय इक्वाडोर के कालरेस क्विपो को 18-12 से मात देकर यह सौभाग्य प्राप्त किया.
शिवा थापा 56 किलोग्राम वर्ग: भारत के इस 18 वर्षीय मुक्केबाज ने कजाकिस्तान के शहर अस्ताना में एशियाई ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में जापान के सातोसी शिमिझू को 31-17 से हराकर ओलंपिक में जाने वाले सबसे युवा मुक्केबाज बनने का गौरव हासिल किया. उन्होंने पूरे प्रतियोगिया के दौरन लाजवाब प्रदर्शन करके स्वर्ण पदक हासिल किया.
जयभगवान 60 किलोग्राम वर्ग: राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता जय भगवान ने इजरायल के डेविड ओलिवर जोएस को बेहद नजदीकी मुकाबले में 32-30 से हराकार ओलंपिक में जाने का कारनामा रचा.
मनोज कुमार 64 किलोग्राम वर्ग: राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मनोज कुमार (64 किग्रा) अजरबेजान के बाकू में चल रही विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने के साथ ही लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में सफल रहे. उन्होंने पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए चीन के किंग हू को 17-15 से हराया.
विकास कृष्ण 69 किलोग्राम वर्ग: वहीं अजरबेजान के शहर बाकू में विकास कृष्ण ने तुर्की के सिपाल ओंडर को एकतरफा मुकाबले में 14-7 से हराकर यह उपलब्धि हासिल की.
उम्मीद करते हैं कि भारत के यह सितारे अपने दमदार पंचों से इस खेलों के महाकुंभ में नए-नए इतिहास रचेंगे. भारत का प्रदर्शन ओलंपिक में अच्छा नहीं रहा है लेकिन इनके क्वालीफाई करने से करोड़ो भारतीयों की नजरें इन पर टिकी रहेंगी.
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