यूं तो सोने के भाव इन दिनों आसमान की ऊंचाइयों पर हैं. लेकिन कुछ ही दिनों में लंदन में होगी सोने की बरसात और इस बरसात में उन सभी खिलाड़ियों की झोली भरेगी जिन्होंने अपना पसीना बहा कर अपने खेल को निखारा है. यह बरसात होगी लंदन ओलंपिक में. लंदन ओलंपिक खेल इसी साल 27 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किए जाएंगे.
ब्रिटेन में ओलंपिक
ब्रिटेन में ओलंपिक खेलों के आयोजन का यह तीसरा मौका है. इससे पहले लंदन 1908 और 1948 में इस खेल का सफल आयोजन कर चुका है. साल 2008 में हुए 29वें ओलंपिक के बाद 2012 में लंदन को 30वें ओलंपिक का आयोजन करने का मौका मिला है. साल 2012 के लंदन ओलंपिक खेलों के आयोजन स्थल पर 14वें पैराओलंपिक खेलों का भी आयोजन किया जाएगा.
London Olympics 2012: पदकों का इतिहास
ओलंपिक का इतिहास
ओलंपिक का इतिहास भी बहुत अनूठा है. शुरूआत में यह ओलंपिक के नाम से नहीं जाना जाता था बल्कि इसकी जगह होता था खेलों का महा आयोजन. योद्धा और खिलाड़ी साथ मिलकर इस आयोजन में अपनी प्रतिभा दिखाते थे. हालांकि बाद में रोम के सम्राट थियोडोसिस ने इसे मूर्तिपूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके बाद लगभग डेढ़ सौ साल तक किसी ने इस खेल आयोजन के बारे में सोचा ही नहीं.
19वीं शताब्दी में जब यूरोप में सर्वमान्य सभ्यता का विकास हुआ तो दुबारा खेलों की इस परंपरा को जिंदा किया गया. फ्रांस के अभिजात्य पुरूष बैरों पियरे डी कुवर्तेन को ओलंपिक खेलों के जन्म में एक अहम व्यक्ति माना जाता है.
कुवर्तेन मानते थे कि खेल युद्ध टालने का बेहतरीन जरिया है. कुवर्तेन की कल्पना के आधार पर 1896 में पहली बार आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन ग्रीस की राजधानी एथेंस में हुआ. शुरूआत में यह खेल-आयोजन किसी ताकतवर शक्ति के बिना बडा कमजोर लगा. लेकिन ओलंपिक के चौथे संस्करण से इसे पहचान मिलनी शुरू हो गई और यह किस्मत की बात ही है कि इसका चौथा संस्करण लंदन में ही हुआ था. इसमें 2000 एथलीटों ने शिरकत की जो एक बहुत बड़ी संख्या थी.
हालांकि प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के समय इन खेलों के आयोजन में अवरोध हुआ. साल 1916 और साल 1940 में इन खेलों का आयोजन नहीं हुआ था. हालांकि धीरे-धीरे ओलंपिक में राजनीति और बाजारवाद पहचान बनाते चले गए. आज यह खेल खिलाड़ियों के लिए मक्का-मदीना की तरह है. हर खिलाड़ी ओलंपिक में पदक जीतने का ख्वाब देखता है.
ओलंपिक में भारत
अगर हॉकी को छोड़ दें तो भारत किसी भी खेल में ओलंपिक में अपना नाम नहीं कमा पाया. भारत का ओलंपिक सफर यूं तो बहुत अच्छा था मगर बीच के सालों में उसका प्रदर्शन बेहद लचर रहा. भारत ने ओलंपिक में अब तक 20 गोल्ड मेडल जीते हैं.
1928 से 1956 के बीच लगातार छह बार भारतीय हॉकी टीम ने गोल्ड मेडल जीतकर कभी भारत का सीना गर्व से चौड़ा किया था. पर उसके बाद से हॉकी गर्त में जाता दिखा.
हालांकि भारत ने पहला व्यक्तिगत पदक 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में जीता था. इस साल केडी जाधव ने फ्री स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक हासिल किया था और इसी साल हॉकी में भारत ने गोल्ड जीता था.
भारत के लिए सबसे सफल ओलंपिक साल 2008 का “बीजिंग ओलंपिक” रहा जिसमें भारत को तीन पदक मिले. इस ओलंपिक में भारत की तरफ से अभिनव बिंद्रा ने गोल्ड (शूटिंग), सुशील कुमार ने कांस्य (कुश्ती) और विजेंद्र कुमार ने कांस्य (बॉक्सिंग) जीता था. इस बार भी भारत की निगाहें अपने इन सितारों पर होंगी. साथ ही नजरें इस बार सानिया मिर्जा, सानिया नेहवाल और अन्य खिलाड़ियों पर भी होंगी.
क्या आप जानते हैं भारत का पहला मेडल कब आया ?
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