कॉमनवेल्थ गेम में भारतीयों को जितनी खुशी एथलेटिक्स में पदक जीत कर मिली थी अब लगता है उतनी ही शर्म डोपिंग का आरोप लगने से हो रही है. भारतीय एथलेटिक्स जगत में डोपिंग का साया गहराता जा रहा है. महिला एथलीट अश्विनी चिदानंदा अकुंजी और प्रियंका पवार एनाबोलिक स्टेराइड का परीक्षण पास नहीं कर सकी हैं. इन दो एथलीटों को मिलाकर अब तक भारत के आठ एथलीट प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के दोषी पाए जा चुके हैं. इतनी बडी मात्रा में खिलाड़ियों के डोप टेस्ट में फेल होने से खेल मंत्रालय (Sports Ministry) और कोच (Coach) की भूमिका पर संदेह की अंगुली उठती है.
अश्विनी (Ashwini Akkunji) और प्रियंका (Priyanka Panwar) को जिस एनाबॉलिक स्टेरॉयड मिथानडाईनोन (anabolic steroid, Methandienone) के लिए पॉजीटिव पाया गया है, यही प्रतिबंधित पदार्थ स्वर्ण विजेता रिले चौकड़ी की सदस्य मंदीप कौर और सिनी जोस (Mandeep Kaur and Sini Jose) तथा जौना मुर्मू के नमूने में भी पाया गया था. इन खिलाडि़यों का कहना है कि उन्होंने पटियाला में लगे शिविर के दौरान बाहरी दुकानों से जो फूड सप्लीमेंट (Food Supplement) लिया था, उसमें ही यह प्रतिबंधित पदार्थ मौजूद रहा होगा. साथ ही यह भी कहा कि यह सब उन्होंने कोच की मौजूदगी में उनको बता कर किया.
डोप परिणामों से यूक्रेन के कोच यूरी ओग्रोडोनिक (Ukrainian coach Yuri Ogrodnik) की भूमिका फिर से संदेह के घेरे में आ गई है क्योंकि वह दो अन्य भारतीयों के साथ 400 मीटर और 400 मीटर रिले के कोच हैं. अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर क्यूं कोच ने खिलाड़ियों को बाजार से फूड सप्लीमेंट लेने की इजाजत दे दी. क्या उन्हें खुद भी यह नहीं पता था कि इन दवाओं का सेनव डोप टेस्ट के लिए भारी पड़ सकता है.
इसके साथ ही जिम्मेदारी खेल मंत्रालय की भी है कि वह ऐसी सुविधाएं क्यूं नहीं मुहैया करा रहा है जिससे खिलाड़ी डोप टेस्ट के दंश से बच सकें. अब तक देश के कई बेहतरीन खिलाड़ी डोप टेस्ट में फेल होने की वजह से प्रतिबंध झेल रहे हैं इनमें से कई तो बेहतरीन खिलाड़ी हैं. अधिकांश देखा जा रहा है कि जब भी इस तरह के कोई टेस्ट होते हैं तो एक दो नहीं बल्कि कई खिलाड़ी दोषी पाए जाते हैं जिससे साफ होता है कि खिलाड़ी यह जानबूझ कर नहीं कर रहे बल्कि वह जानकारी के अभाव में ऐसा कर रहे हैं. कोई भी एथलीट कोच, डॉक्टरों और संघ के अधिकारियों के समर्थन के बिना प्रतिबंधित दवाइयों का सेवन नहीं कर सकता ऐसे में जरूरी है कि खेल मंत्रालय और संबंधित बोर्ड इस दिशा में सख्त निर्देश दे और कानून बनाए जिसका सख्ती से पालन किया जाए वरना डोप की वजह से देश के खिलाड़ियों की विदेशों में काफी आलोचना होगी और इससे देश की छवि भी खराब होगी.
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