उम्र केवल बीस साल लेकिन कारनामे इतने बड़े–बड़े कि पूरे भारतवर्ष को गर्व है देश की इस कोहिनूर सायना नेहवाल पर.
स्पीड, मूव्स, बैलेंस और डिटरमिनेशन का कम्बीनेशन अगर आपकी प्रतिभा के साथ सही सामंजस्य बना लेता है तो कोई भी ऐसी रूकावट नहीं है जो आपका रास्ता रोक सके. और कुछ ऐसा ही कारनामा सायना नेहवाल ने हांगकांग ओपन जीतकर किया. वांचाई में हांगकांग ओपन के फाइनल में सायना ने चीन की शिजियान वांग को हरा इस वर्ष का तीसरा सुपर सीरीज खिताब हासिल किया. सायना ने चीन की तीसरी वरीय खिलाड़ी पर एक घंटे 11 मिनट तक चले मुकाबले में 15-21, 21-16, 21-17 से जीत दर्ज कर अपने कॅरियर का चौथा सुपर सीरीज खिताब हासिल किया.
पहला स्थान दूर नहीं
यह वर्ष सायना के लिए बहुत अच्छा रहा है जहां उन्होंने इस वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता वहीं यह सायना का इस वर्ष का तीसरा ओपन ख़िताब था. इससे पूर्व भारत की तरफ़ से केवल प्रकाश पादुकोण ने ही एक वर्ष में तीन ख़िताब जीते थे.
सभी जानते हैं कि सायना के पास वह खेल है जो उनको विश्व नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी बना सकता है. लेकिन वह समय कब आएगा इसका किसी को पता नहीं है. इसके अलावा केवल लोगों का कहना ही उनको नंबर एक खिलाड़ी नहीं बना सकता उसके लिए सायना को निरंतर अच्छा प्रदर्शन करना होगा और चीन की चुनौतियों को भी ध्वस्त करना होगा.
बैडमिंटन में चीन का बोलबाला है. विश्व के टॉप रैंकिंग खिलाड़ी चीन के ही हैं और ऐसे में सायना का चीन को अकेले चुनौती देना सरल नहीं होगा. लेकिन विश्व नंबर पांच के खिलाफ़ मिली जीत ने यह साबित कर दिया है कि सायना इस चुनौती के लिए तैयार हैं. हालांकि इस प्रतियोगिता से पूर्व सायना को एक झटका भी लगा था जब वह रैंकिंग पायदान में तीसरे नंबर से खिसक चौथे नंबर पर आ गई थीं. लेकिन इस जीत ने यह साबित कर दिया कि वह दिन दूर नहीं जब वह नंबर एक पर होंगी.
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