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महारथियों की जंग में रणनीतिकार की दरकार


भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप टी20 में शानदार आगाज़ किया जहॉ उन्होंने अपने ग्रुप सी के दोनों मैच जीत कर, सुपर आठ में अपनी जगह पक्की कर ली. जहाँ भारतीय टीम ने अपने पहले मुकाबले में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में आगाज़ कर रही अफगानिस्तान को एक तरफ़ा मुकाबले में 7 विकेट से हरा दिया वहीं, अपने दूसरे मुकाबले में उसने खिताब की प्रबल दावेदार दक्षिण अफ्रीका को 14 रन से मात देते हुए  सुपर आठ में प्रवेश कर लिया.

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी अपनी टीम की दोहरी जीत से खुश हैं, परन्तु इसके साथ-साथ उनको एक चिंता भी सता रही है. भले ही अब तक हुए मुकाबलों में भारतीय टीम ने हर क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन किया हो, परन्तु धोनी जानते हैं कि कोई भी चूक ख़िताब जीतने की राह में रोड़ा बन सकती है. वह जानते हैं कि बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण के अलावा भी कुछ और पहलू हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है.

सुपर-आठ में धोनी की सेना का मुकाबला एकदिवसीय विश्व कप विजेता ऑस्ट्रेलिया, अपने घर में खेल रही वेस्टइंडीज और श्रीलंका से होगा. अगर भारत को सेमी-फाइनल में जगह बनानी है तो उसको तीन में से कम से कम दो मुकाबले जीतने होंगे.

कैसी है केसिंगटन ओवल की पिच

2-kensington-ova-bridgetown-barbadosभारतीय टीम सुपर-आठ के अपने सभी मैच केंसिंगटन ओवल, ब्रिजटाउन, बाराबडोस में खेलेगी. क्रिकेट जगत में कैरेबियाई देशों का मक्का कहा जाने वाला केसिंगटन ओवल मैदान हमेशा ही अपनी तेज़ और उछाल भरी पिच के लिए मशहूर रहा है. एक समय वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान क्लाइव लॉयड केसिंगटन ओवल की पिच पर चार तेज़ गेंदबाजों के साथ खेलना पसंद करते थे. परन्तु बदलते समय के साथ-साथ यहाँ की पिच में भी बदलाव आया है. अब यह उछाल से तो भरी है परन्तु धीमी हो गई है, अतः शाट खेलना कठिन हो गया है. यहॉ अगर आप पहले बल्लेबाजी  करते हैं तो 140-150 का लक्ष्य अच्छा माना जाता है. इसलिए यह और भी ज़रुरी हो गया है कि एक बार जमने पर आप अपना विकेट ना खोएं, और गेंदबाजी करते समय गति परिवर्तन और बाउंसर का सही उपयोग करें.

क्या होगी धोनी की रणनीति

Singh Dhoniभारत का सुपर आठ का पहला मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 7 मई को होगा. पिछले दो संस्करणों में शुरुआती दौर में ही बाहर का मुंह देखने वाली आस्ट्रेलिया, इस बार ख़िताब के प्रबल दावेदारों में से एक है, जहाँ उनके पास दुनिया के सबसे तेज़ गेंदबाज़ हैं, वहीं उनके बल्लेबाज भी उम्दा-फॉर्म में हैं. अपने कैरियर के सबसे अच्छे दौर से गुज़र रहे शेन वाटसन उनके लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं. अगर भारत को ऑस्ट्रेलिया से जीतना है तो उन्हें वाटसन को रोकने के साथ-साथ तेज़ गेंदबाजी को भी सही से खेलना होगा. इसके लिए जरुरी है कि उनके प्रमुख बल्लेबाज में से कोई एक लंबी पारी खेले.

अपने घरेलू मैदान में खेल रही वेस्टइंडीज की टीम कोई भी उलट-फेर करने में सक्षम है. जहाँ उनके कप्तान गेल छक्कों की बरसात कर सकते हैं वही शिवनारायण चंद्रपाल जुझारू पारी खेल सकते हैं. उनके आल-राउंडर ब्रावो और पोलार्ड कभी भी मैच का रुख मोड़ सकते हैं. वेस्टइंडीज को रोकने के लिए भारत की रणनीति सामान्य क्रिकेट खेल कर वेस्टइंडीज को हराने की होनी चाहिए, क्योंकि अगर आप उनके साथ कुछ अनोखी करने की सोचेंगे तो वह आप के गले का फंदा बन सकता है.

श्रीलंका के विजय रथ की बागडोर शानदार फॉर्म में चल रहे महेला जयवर्धने के हाथों में होगी. कप्तान संगकारा और मलिंगा इस रथ को गति प्रदान करने की कोशिश करेंगे. महेला जयवर्धने को जल्दी आउट करना, दिलशान को फॉर्म में आने का कोई मौका ना देना और मलिंगा को संभलकर खेलना इस मैच में धोनी के मूल-मंत्र होने चाहिए.

क्यों हैं धोनी परेशान

अपने दूसरे मुकाबले में भले ही धोनी की टीम ने दक्षिण अफ्रीका पर जीत दर्ज की, परन्तु अगर हम आंकड़ों पर धयान दें तो धोनी जानते हैं कि अभी भी बहुत सुधार की जरूरत है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ हुए मुकाबले में रैना ने अपने टी20 कॅरिअर का पहला शतक लगाया और इसके साथ-साथ टी20 में शतक लगाने वाले वह पहले भारतीय भी बन गए, उन्होंने 60 गेंद का सामना किया जिसमें 7 चौके और 5 छक्के लगाए. परन्तु जो चीज़ गौर करने वाली है वह विकेटों के बीच दौड़ की है, जहाँ रैना तीन बार रन-आउट होते-होते बचे, वही दिनेश कार्तिक और युवराज सिंह भी एक बार रन-आउट होते-होते बचे, अगर दक्षिण अफ्रीका के खिलाडियों का निशाना चुकता नहीं तो क्या भारत इतना बड़ा स्कोर खड़ा कर पाता? क्या रैना शतक बना पाते? शायद उस दिन भारतीयों खिलाड़ियों की किस्मत अच्छी थी इसलिए उन्होंने जीत का स्वाद चखा, परन्तु क्या ऐसी किस्मत हमारा साथ हमेशा देगी ? शायद इस सवाल का जवाब हमे आने वाले मैचों में लगे, परन्तु इससे ज़्यादा यह ज़रुरी है कि धोनी के धुरंधर इस सवाल को उठने ही ना दें, क्योंकि “उपाय से ज़्यादा ज़रुरी, निवारण होता है”.

दूसरी चिंता जो धोनी को सता रही है वह डॉट बाल की है, जहाँ भारत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ 120 गेदों में से 41 गेंदों में कोई रन नहीं बनाया. धोनी की यह चिंता इसलिए जायज़ है क्योंकि टी20 जैसे क्रिकेट के छोटे संस्करण में हर गेंद मूल्यवान है. जहाँ हार-जीत का फैसला बहुत कम अंतर से होता है, वहाँ यह जरुरी हो जाता है कि हर गेंद में रन बनाया जाए. अगर आप भी क्रिकेट में रुचि रखते हैं तो आप को यह पता होगा कि कोई भी खिलाड़ी हर गेंद में चौका-छक्का नहीं मार सकता और इसलिए यह ज़रुरी हो जाता है कि आप चौके-छक्के के जगह एक रन भी बनाएं और कोई भी गेंद खाली ना जाने दें. यह मूल-मंत्र आप की पारी बुनने में भी मदद करता है इसके साथ-साथ यह आपके मनोबल को भी बढ़ाता है. परन्तु भारत ने कुछ ज़्यादा ही गेंदों को बेकार किया, अगर वह इन 41 गेंदों में से 20 पर भी रन बनाता तो भारतीय टीम 200 का आंकड़ा पार कर जाती, जिसके रहते दक्षिण अफ्रीका पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बन जाता. “आखिर टी20 इतिहास में कितनी बार 200 के आंकड़े का सफलता पूर्वक पीछा किया गया है”.

अगर हम बल्लेबाजों की बात करें तो, रैना को छोड़ दूसरे बल्लेबाज़ों का अभी भी फॉर्म में आना  बाकी है, हालांकि युवराज सिंह ने फॉर्म में आने के संकेत दिया है, परन्तु वह अभी भी अपनी क्षमता से कोसों दूर हैं. वह अकेले दम पर मैच का रुख बदल सकते हैं (2007 टी20 विश्व कप मे स्टुअर्ट बार्ड के खिलाफ एक ओवर में मारे गए छह छक्के उनकी छमता दर्शाते हैं). इसके अलावा गौतम गंभीर, कप्तान धोनी और युसूफ पठान भी अभी तक कुछ खास करने में विफल रहे हैं. अतः कप्तान धोनी चाहेंगे कि सुपर-आठ में इन सब का बल्ला बोले, और वक़्त पड़ने पर सब लोग रन बनाएं.

कैप्टेन कूल धोनी भले ही अहम मौकों पर अपना संयम बनाए रखते हैं, परन्तु वह भी जानते हैं कि उन्हें हर क्षेत्र में रणनीति के हिसाब से चलना होगा, चाहे वह क्षेत्ररक्षण हो या फिर विकेट के बीच दौड़, एक भी गलत कदम आप की प्रतियोगिता से छुट्टी कर सकता है.

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