“यदि आप तय रणनीति के हिसाब से खेलते हैं तो विजय सदैव ही आप के कदम चूमती है,” और इसका उदाहरण हमें कल मुंबई के डॉ. डी. वाई. पाटिल स्टेडियम में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के तीसरे संस्करण के फाइनल मुकाबले में देखने को मिला, जहाँ चेन्नई सुपर किंग्स ने मुंबई इंडियंस को 22 रनों से हरा कर पहली बार आईपीएल की ट्राफी पर कब्ज़ा किया.
चेन्नई सुपरकिंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच उतार-चढ़ाव से भरे फाइनल मैच के नायक चेन्नई सुपर किंग्स के सुरेश रैना रहे, जिन्होंने बल्लेबाजी में धमाल दिखाने के बाद गेंदबाजी में भी कमाल दिखाया जबकि लीग चरण में सर्वाधिक दस मैच जीतने वाली मुंबई को नतमस्तक उसके क्षेत्ररक्षकों और बल्लेबाजों ने किया.
क्या थी चेन्नई की रणनीति
डी. वाई. पाटिल स्टेडियम की पिच का उछाल हमेशा एक समान नहीं रहता और इसके लिए जरुरी हो जाता है कि आप अपना कुछ समय पिच पर बिताएं और एक बार एकाग्र हो जाने पर खुल के अपना खेल खेलिए, और चेन्नई के बल्लेबाजों ने यही किया. शुरु के 8 ओवर में उन्होंने केवल 44 रन ही जोड़े और एक ही विकेट खोया और आखिरी 5 ओवर में 60 रन जोड़े. चेन्नई को पता था कि अगर अंतिम तक विकेट हाथ में रहे तो वह विपक्ष के सामने मजबूत लक्ष्य खड़ा कर सकते हैं, और रैना ने इस कार्य को बखूबी निभाया.
कैसे उठाया फायदा रैना ने
डी वाई पाटिल स्टेडियम में रंगारंग समापन समारोह के बाद शुरू हुए फाइनल में चेन्नई की टीम 12वें ओवर तक डेढ़ सौ रन के करीब भी पहुंचने की स्थिति में नहीं दिख रही थी लेकिन रैना ने 13 और 28 रन के निजी योग पर मिले जीवनदान का फायदा उठाया. उन्होंने 35 गेंद पर तीन चौकों और इतने ही छक्कों की मदद से नॉटआउट 57 रन की पारी खेली और उन्होंने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी(22) के साथ 35 गेंद पर 72 रन की साझेदारी करके टीम को 169 रनों के मजबूत लक्ष्य तक पहुचांया. अगर मुंबई इंडियन यह कैच पकड़ लेते तो शायद उनको २२ रन लक्ष्य में कम मिलते और फिर कहानी कुछ और भी हो सकती थी.
डरे-सहमें रहे मुंबई इंडियंस
169 रन का मजबूत लक्ष्य देने के बाद मुंबई के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने पहला ओवर मेडन खेला परन्तु इसके बाद वह बिना खाता खोले ही पवेलियन लौट गए और चेन्नई ने दबाव बना लिया. हालांकि उसके बाद अभिषेक नायर ने सचिन के साथ मिलकर अर्धशतकीय साझेदारी की. रैना का आज भाग्य साथ दे रहा था और धोनी ने यह भांपकर उन्हें गेंद थमाने में देर नहीं लगायी. उनके पहले ओवर में ही नायर को रन आउट करवा दिया और उपरी क्रम में बल्लेबाजी के लिये भेजे गये हरभजन सिंह(1) भी आउट हो गये. सचिन को खेलता देखकर लग रहा था कि वह अभी पूरी तरह से अपनी चोट से उबर नहीं पाए हैं. दबाव हटाने के लिए हरभजन को ऊपर बल्लेबाजी के लिए भेजा गया लेकिन वह भी रैना के द्वारा एलबीडब्ल्यू आउट हो गए.
सचिन ने कुछ शानदार शॉट लगाकर मैच को रोमांचक बनाया, लेकिन रन-गति को तेज करने के चक्कर में वह भी कैच आउट हो गए. उन्होंने 46 गेंद में 48 रन बनाए . उनके बाद आए युवा खिलाड़ी सौरव तिवारी बिना खाता खोले जकाती के जाल में फंस गए जबकि डुमनी छह रन के निजी स्कोर पर मुरलीधरन की गेंद पर जकाती को कैच देकर पवेलियन लौट गए. हालांकि पोलार्ड ने क्रीज पर आते ही कुछ आकर्षक शॉट लगाए, लेकिन हर गेंद पर बढ़ते औसत के आगे वह भी टीम को जीत दिलाने में नाकाम रहे और मोर्केल की गेंद पर हेडन के हाथों कैच देकर चलते बने. इसी के साथ मुंबई की जीत की सभी उम्मीदें पूरी तरह से खत्म हो गईं और वह 20 ओवर में 9 विकेट पर केवल 146 रन ही बना सके.
सही हुई गावस्कर की भविष्यवाणी
लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने मैच से पहले कहा था कि, डी. वाई. पाटिल स्टेडियम में रन बनाना आसान नहीं है, आपको पिच पर समय बिताना होगा तभी अप अच्छा खेल सकते हैं, और ऐसी पिच में गेंदबाजों को विकेट-से-विकेट गेंदबाजी करनी होगी. मुंबई इंडियन का अब तक का सफर अच्छा रहा है और अब तक की सबसे अच्छी टीम है परन्तु हर मैच नया होता है और हर मैच को जीतने के लिए आप को उस दिन अच्छा प्रदर्शन करना होता है, और मुंबई इंडियन के लिए जरुरी है कि वह सचिन पर ज्यादा निर्भर नहीं हो. अगर हम मुंबई इंडियन का रिकॉर्ड देखें तो अब तक लक्ष्य का पीछा करते समय उन्होंने संयम नहीं रखा है और वो दबाव में आ जाते हैं. चेन्नई का पलड़ा मुंबई से थोड़ा भारी है क्योंकि यह उनका दूसरा फाइनल है और वह जानते हैं फाइनल में खेलने का दबाव.
अगर हम उनकी बातों पर धयान दें तो उन्होंने जो कहा वह सच हुआ. इसे कहते है एक मास्टर शॉट.
अभी बाकी है दूसरा फाइनल
आईपीएल यानी इंडियन प्रीमियर लीग, या फिर इंडियन विवाद लीग का एक फाइनल तो कल खत्म हो गया परन्तु आज दूसरा फाइनल खेला जाएगा, जहाँ आईपीएल की गवर्निंग कमिटी ललित मोदी का भविष्य तय करेगी. कल रात बीसीसीआई ने ललित मोदी को इंडियन प्रीमियर लीग के चेयरमैन और कमिश्नर पद से निलंबित कर दिया गया था. विवादों में फंसे मोदी का भविष्य क्या होगा यह तो हमें बाद में मालूम होगा पर यह पक्का है कि उनका भविष्य अधर में है.
अंत में “घरेलू सफलता का दौर खत्म हो गया, अब हमें दुनियां में परचम लहराना है, जाओ धोनी के शेरों और कर लो फतह दुनियां पर”.
Read Comments